गोपालगंज की टूटी कर्णपुरा-मतेया खास सड़कः ग्रामीणों ने लगाया खराब निर्माण का आरोप | मेरा आवाज Sab Tak

By: अदिति वर्मा, रिपोर्टर (गोपालगंज एवं बिहार राज्य)
रिपोर्ट: मेरा आवाज Sab Tak


🌧️ सड़क टूटी, गांव हुआ अलग – कर्णपुरा से मतेया खास के बीच आवागमन ठप होने के कगार पर


गोपालगंज ज़िले के कर्णपुरा से मतेया खास को जोड़ने वाली मुख्य सड़क इस बार की  बारिश में पूरी तरह से टूट चुकी है।
सड़क के टूटने के कारण अब स्थानीय लोगों को अपने रोज़मर्रा के काम, स्कूल- जाने वाले छात्र, और आवागमन करने वाले ग्रामीण — सभी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जहां पहले यह रास्ता गांवों के बीच एक सीधा संपर्क मार्ग था, वहीं अब लोगों को लंबा चक्कर लगाकर दूसरे रास्तों से आना-जाना पड़ रहा है।
इस सड़क के बीच एक छोटा हिस्सा पूरी तरह धंस चुका है, जिससे अब चारपहिया वाहन चलना नामुमकिन हो गया है।

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🚗 “अब चार पहिया वाहन चलना तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल है” — ग्रामीण

हमारी टीम ‘मेरा आवाज Sab Tak’ ने जब इस सड़क की स्थिति को करीब से देखा तो पाया कि कई जगहों पर सड़क पूरी तरीके से टूट चुकी है।
बारिश का पानी जमा होकर बड़े गड्ढों में बदल गया है। इस रास्ते पर अब कोई भी वाहन आसानी से नहीं चल सकता।

इसी दौरान टीम ने एक स्थानीय बुजुर्ग जितेंद्र प्रसाद से बात की। उन्होंने दुखी मन से बताया —

> “इस सड़क को बने अभी तीन-चार साल ही हुए हैं।  यहां इस रोड से कोई भी भारी वाहन नहीं चलते हैं  फिर भी यह सड़क इतनी जल्दी टूट गई, यह समझ से परे है।”

उन्होंने आगे कहा कि सड़क के टूट जाने से अब कर्णपुरा और मतेया खास के बीच का संपर्क लगभग टूट गया है।

> “पहले आधे 2 से 4 मिनिट  में हम कर्णपुरा पहुंच जाते थे, अब  15 मिनिट से 30 मिनिट तक का चक्कर लगाना पड़ता है,” — जितेंद्र प्रसाद ने कहा।


🧱 “2022 में बना था रोड, लेकिन खराब निर्माण के कारण तीन साल में बर्बाद हो गया”

पास ही खड़े अनुरूद कुमार ने बताया —

> “यह सड़क 2022 में बनाई गई थी, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता बहुत खराब थी। और नतीजा यह हुआ कि बारिश का पानी सड़क के नीचे और ऊपर  से बहता गया और अब पूरा रास्ता खराब और पुलिया दस चुका है।”

अनुरूद ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि जब सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर सड़क बनवाती है, तो गुणवत्ता की जांच भी होनी चाहिए।

> “अगर काम सही तरीके से हुआ होता, तो यह सड़क 10 साल तक आसानी से चलती,” उन्होंने कहा।


विशेषज्ञ राय की मांग: “सड़क की गुणवत्ता का ऑडिट क्यों नहीं हुआ?”

ग्रामीणों द्वारा सड़क की बदतर स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाए जाने के बाद अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) या ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा इस सड़क का तुरंत गुणवत्ता ऑडिट (Quality Audit) कराया जाए।

यह के स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक सड़क निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री — जैसे गिट्टी, बालू, सीमेंट या बिटुमेन — की प्रयोगशाला में जांच नहीं की जाती, तब तक यह पता लगाना मुश्किल होगा कि ठेकेदार ने निर्माण के दौरान तय मानकों का पालन क्यों नहीं किया।

ग्रामीणों का आरोप है कि “अगर ईमानदारी से जांच कराई गई, तो सड़क निर्माण में हुए बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।”


🧑‍🔧 स्थानीय युवाओं की अपील – “सड़क की मरम्मत जल्द की जाए, वरना जनजीवन प्रभावित रहेगा”

हमारी टीम ने कुछ स्थानीय युवाओं से भी बातचीत की — जिनमें ब्रिजेश कुमार और शुभम कुमार प्रमुख थे।
उन्होंने बताया कि सड़क टूट जाने से उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर सीधा असर पड़ा है।

ब्रिजेश ने बताया —

> “अब हमें स्कूल और बाज़ार जाने के लिए रोज़ 2 से 3 किलोमीटर ज़्यादा घूमकर जाना पड़ता है। रात में तो बाइक लेकर निकलना भी खतरनाक हो गया है, क्योंकि सड़क पर  गढ़े सड़क की खराब हालत और पुलिया धंसा हुआ हैं

शुभम ने सरकार से अपील करते हुए कहा —

> “हम चाहते हैं कि इस सड़क की मरम्मत जल्द से जल्द की जाए। अगर यह मार्ग दुरुस्त नहीं किया गया, तो आने वाले महीनों में यदि पुलिया पूरी तरीके से टूट जाता हैं तो संपर्क पूरी तरीके से टूट जाएगा


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📸 स्थानीय तस्वीरें बयां कर रही हैं सड़क की हकीकत

ग्रामीणों द्वारा साझा की गई तस्वीरों में साफ दिखता है कि सड़क कई जगहों पर धंस  टूट चुकी है, और मिट्टी पूरी तरह बह गई है।
स्थानीय लोगों ने  पुलिया में मिटी डालकर रास्ता बनाने की कोशिश की लेकिन पानी की वजह से पुलिया का मिटी बह गया

गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

> “अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो अगली बारिश में यह रास्ता पूरी तरह गायब हो जाएगा,” — एक ग्रामीण ने कहा।

⚠️ प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल

ग्रामीणों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभाग (सड़क निर्माण विभाग) ने सड़क बनवाने के बाद कभी इस पर मेंटेनेंस का काम नहीं किया।
यदि कार्य या सड़क की मरम्मत की होती तो ये पुलिया अभी भी सही होता और रोड चका चक होता

> “जब तक अधिकारी खुद मौके पर आकर हालात नहीं देखते, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी,” — एक स्थानीय शिक्षक ने कहा।

🕊️ मानवाधिकार दृष्टिकोण से – यह सिर्फ सड़क नहीं, ग्रामीणों का जीवनपथ है

यह सिर्फ एक सड़क का टूटना नहीं, बल्कि गांव की जीविका, शिक्षा  तक पहुंच का टूटना है।
कर्णपुरा और मतेया खास के लोगों का यह मौलिक अधिकार है कि उन्हें सुरक्षित और सुगम सड़क सुविधा मिले।

ग्रामीणों ने कहा कि अब स्कूल वैन और किसान ट्रैक्टर तक इस मार्ग से नहीं गुजर पा रहे हैं।
यह स्थिति गांव के बुजुर्गों, किसानों और जीविका  महिलाओं के लिए बेहद गंभीर बन चुकी है।


📢 “मेरा आवाज Sab Tak” की अपील – प्रशासन जल्द कार्रवाई करे

हमारी टीम मेरा आवाज Sab Tak प्रशासन और संबंधित विभाग से निवेदन करती है कि
कर्णपुरा-मतेया खास सड़क का पुनर्निर्माण और मरम्मत शीघ्र प्रारंभ की जाए।
साथ ही इस बार गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि आने वाले वर्षों में गांव के लोगों को फिर से यह समस्या न झेलनी पड़े।

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🧾 निष्कर्ष (Conclusion)

कर्णपुरा से मतेया खास को जोड़ने वाली सड़क आज सिर्फ मिट्टी और गड्ढों का ढेर बन गई है।
यह सिर्फ एक टूटी सड़क की कहानी नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की असफलता की सच्चाई है।
लोगों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस सड़क की मरम्मत करेगा —
ताकि “मतेया खास से कर्णपुरा” का रास्ता फिर से खुले और गांवों की जिंदगी पटरी पर लौटे। 

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